Thursday, May 3, 2012

जाग

तेरी गुलाबी हथेलियों की मेरे सपनो में एक छाप सी ठहरी हैं, 
तेरी हर एक आहट से मेरी सांस सी ठहरी है, 
तेरी बंद अखियों को देख एक आस सी ठहरी हैं,
आ अब आ के जगा जा ठहरी हुई उस बात को जो तेरी आवज़ से ठहरी  हुई हैं।

  


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