Saturday, October 30, 2010

याद

माँ, 
तेरा मर्म एहसास व तेरा प्यारा आँचल याद आता है,
जब तेरे हाँथ का बना वो दो रंगा पोंचुं याद आता हैं, तो अश्रुं से मेरा कम्बल गीला हो जाता हैं !
जब रात में देर तक करवट बदलते समय तेरी रात की कहानी याद आती हैं, आँखें धुंधली और गले मे कुछ अटक सा जाता हैं !

जिंदगी की कड़ी धूप में  तेरी ममता की छाँव याद आती हैं, इस दौड़ में हर दम तेरी याद आती हैं !

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